हिन्दू धर्म में दुनिया का सबसे बड़ा भगवान कौन है ?

यूँ तो हिन्दू धर्म में कई शक्तिशाली देवता हैं जिन्होंने किसी न किसी कारणवश अपनी शक्तियों से कई दैत्यों और राक्षसों को मारा है और साथ ही अपनी शक्तियों का प्रयोग कर इस सृष्टि को विनाश से भी बचाया है। माना जाता है की इस दुनिया में सबसे बड़े भगवान तीन है जो की ब्रह्मा, विष्णु और महेश है।

परन्तु हर भगवान् के पास विशेष ताकत होती है और हर भगवान् अपने कुछ ख़ास कारणों के लिए जाने जाते हैं। उदाहरण के लिए लक्ष्मी जी धन के लिए पूजी जाती है, सरस्वती माता विद्या के लिए पूजी जाती है तो दुर्गा माता रक्षा और ताकत के लिए पूजी जाती है।

सबसे बड़ा भगवान कौन है

लोगो को यह सवाल होता है की हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा भगवान कौन है। हमने बिना किसी दूर विचार के इस लेख को बनाया है और आपके और हमारे शक्तिशाली देवता में मतभेद जरूर हो सकते हैं परन्तु मनभेद नहीं। इसलिए हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा भगवान कौन है के बारे में जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

हमें अपनी इस सूचि में दस भगवान को रखा जो नंबर दस से शुरू होते है और नंबर एक पर ख़तम होते है।

दसवें सबसे बड़े भगवान में कर्म में सबसे पहले है यमदेव।

यमदेव को इस संसार का पहला मनुष्य कहा जाता है जो मृत्यु को प्राप्त हुआ। यमदेव का प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडू में स्थित है। धार्मिक ग्रंथों के हिसाब से यमदेव सूर्य और सूरन्यू के पुत्र हैं। हिन्दू धर्म के अलावा यमदेव का पारसी और जावा धर्म में भी उल्लेख मिलता है। यमदेव ही शनि देव के सौतेले भाई माने जाते हैं। यमराज का पुराणों में विचित्र विवरण मिलता है।

पुराणों के अनुसार यमराज का रंग हरा है और वह लाल रंग के वस्त्र पहनते हैं। यमराज भैंसे की सवारी करते हैं और उनके हाथ में एक गदा भी होती है। यमराज के मुन्शी चित्रगुप्त हैं, जिनके माध्यम से वह सभी प्राणियों के कर्मों और पाप पुण्य का लेखा जोखा भी रखते हैं। चित्रगुप्त की बही अग्रसेन धानी में प्रत्येक जीव के पाप पुण्य का हिसाब है।

सूची में नौवें सबसे बड़ा भगवान है, देवताओं के राजा इंद्र देव।

वेदों के अनुसार इंद्र देवताओं के राजा हैं। इंद्र बिजली, तूफान, बारिश और नदियों के स्वामी हैं। स्वर्ग पर इंद्र देव का ही राज है। इंद्र देव की सवारी हाथी है और उनका सबसे शक्तिशाली अस्त्र वज्र है। इंद्र देव ने मित्र नामक दैत्य को मारकर इस धरती पर बारिश और धूप खुशहाली के रूप में लायी थी। बौद्ध धर्म में भी इंद्र देव की पूजा की जाती है।

अगला स्थान है मां दुर्गा का, विकराल रूप मां काली का।

मां दुर्गा का विकराल रूप है मां काली का। और यह बात तो आप सभी जानते होंगे कि दुष्टों का संहार करने के लिए मां ने यह रूप धरा था। इनकी अराधना से मनुष्य के सभी भय दूर हो जाते हैं। मां कालिका को खासतौर पर बंगाल और असम में पूजा जाता है। काली शब्द का अर्थ काल और काले रंग से है। काल का अर्थ समय है। मां काली को देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से भी एक माना जाता है।

सूची में अगले है ब्रह्मदेव।

ब्रह्मदेव इस सृष्टि के रचयिता हैं। उनके चार मुख चार अलग अलग दिशाओं में देखते हैं। ब्रह्मदेव को स्वयंभू यानी खुद से जन्मा हुआ भी मानते हैं। चारों वेदों के रचयिता ब्रह्मा जी त्रिमूर्ति में से एक हैं। भारत में विष्णु और महेश के काफी मंदिर हैं, परन्तु एक ही ऐसा स्थान है जहां केवल ब्रह्मा जी का मंदिर है। राजस्थान के पुष्कर तीर्थ स्थल एक ऐसी जगह है जहां केवल ब्रह्मा जी का एकलौता मंदिर है। पद्मपुराण के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया था।

सबसे बड़ा भगवान कौन है

सूची में अगले देवता हैं भगवान गणेश।

गणपति और विघ्नहर्ता के रूप में प्रसिद्ध गणेश जी के भारत, नेपाल और भूटान में कई करोड़ो भक्त हैं। हिन्दू ही नहीं बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी गणेश जी को पूजा जाता है। विघ्नहर्ता और रिद्धि सिद्धि के स्वामी गणेश जी हिन्दू धर्म के प्रथम पूजनीय देवता हैं।

क्रमांक नंबर पाँच पर है रामभक्त हनुमान जी।

रामायण में एक निर्णायक भूमिका निभाने वाले हनुमान जी बहुत ही ताकतवर और शक्तिशाली देवता हैं। उनकी शक्ति का अंदाजा इस बात से होता है कि उन्होंने बचपन में ही पूरे के पूरे सूर्य को आम का फल समझकर निगल लिया था। हनुमान जी को शिव जी का अवतार भी माना जाता है। रामायण में पवनपुत्र हनुमान कई बार अपना आकार बदलते हैं। सूक्ष्म रूप से एक बहुत बड़ा रूप धारण करने वाले हनुमान जी को देवी देवताओं ने अस्त्र शस्त्र का ऐसा भंडार दिया है जिसके कारण उन्हें युद्ध में हराना नामुमकिन होता है।

सूची में अगला स्थान है भगवान श्री कृष्ण का।

भगवान श्री कृष्ण को विष्णु जी का मानव अवतार भी माना जाता है। श्री कृष्ण का बचपन चमत्कारों और शरारतों से भरा रहा। कृष्ण अपने जन्म के अलग अलग अवस्थाओं में कभी शरारती ग्वाला रहे तो कभी प्रेमी तो कभी भगवान नरायण अस्त्र, पशुपाल अस्त्र और सुदर्शन चक्र से संपन्न रहे। श्री कृष्ण ने महाभारत का युद्ध बिना किसी अस्त्र उठाए ही पांडवों को जितवा दिया था, जिनसे उनकी शक्ति और बुद्धिमता का अंदाजा होता है।

अगले स्थान पर हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम।

श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। दुनिया का सबसे बड़ा काव्य रामायण भगवान राम की कहानी पर ही आधारित है। भगवान राम को उनके गुरु विश्वामित्र जी ने सभी अस्त्र शस्त्र का ज्ञान दिया था, जिनसे वह अपनी वानर सेना के बल से रावण की विशाल राक्षसी सेना को हरा पाए थे।

सूची में अगला स्थान विष्णु जी को दिया गया है।

विष्णु जी को परमपिता परमेश्वर माना जाता है। भगवान विष्णु संसार का संचलन करते हैं। जब – जब इस पृथ्वी पर पाप की अति होती है तब भगवान विष्णु अवतार लेकर पाप का नाश करते हैं। उनकी शक्तियां अपार है, हिन्दू धर्म में इस पृथ्वी के तीन सबसे बड़े भगवान् में एक नाम भगवन विष्णु का है।

हमारी सूची के सर्वप्रथम देवता हैं भगवान शिव।

भगवान शिव इस धरती के नियोजित विनाश के लिए जिम्मेवार हैं। विनाश और सृजन का यह क्रम इसी प्रकार ही चलता रहता है। हिन्दू ग्रंथों में शिव को असीमित ब्रह्म आत्मा माना गया है जिससे पूरी श्रृष्टि का सृजन होता है। आदि योगी भगवान शिव ध्यान और कला के स्वामी हैं। अस्त्र शस्त्र दान में देने वाले भगवान शिव समस्त ज्ञान के स्वामी हैं। इसीलिए भगवान शिव हिन्दू धर्म के सबसे बड़ा भगवान् हैं।

भगवान् शिव से भी बड़े भगवान् कौन है?

कहते हैं देवों के देव हैं त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश। ब्रह्माजी को सृष्टि का रचयिता, भगवान विष्णु को सृष्टि के रक्षक और महादेव को विनाशक कहा गया है। कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठा होगा कि आखिर त्रिदेवों में सबसे महान कौन है तो आपको हम बता दें की इन तीनो में से और भगवान शिव से भी बड़े भगवान्, ब्रह्मा भगवान को बोला जाता है क्यूंकि हिन्दू धर्म के अनुसार इस समस्त सृस्टि के रचियता ब्रह्मा जी है।

त्रिदेव में सबसे बड़ा भगवान् कौन है?

एक बार भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और शिवजी एक साथ बैठे थे। तभी शिवजी ने सोचा कि जब मैं विनाशक हूं तो क्या मैं अपनी शक्तियों से किसी का भी विनाश कर सकता हूं? क्या मैं ब्रह्मा जी और विष्णु जी का भी विनाश कर सकता हूं? शिवजी के इस विचार से ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु मुस्कुराए और ब्रह्मा जी ने कहा कि क्यों न आप अपनी शक्तियों का मुझ पर इस्तेमाल करें क्योंकि मैं भी जानना चाहता हूं कि आपकी शक्तियां मुझ पर क्या असर करती हैं।

तब शिव जी ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया। तब ब्रह्मा जी जलकर भस्म हो गए और वह पर राख का ढेर हो गया। भगवान शिव जब चिंतित हो गई कि अब सृष्टि का क्या होगा? तभी जब शिव जी उस राख को अपनी मुट्ठी में लेने वाले थे। तब उसमें से आवाज आई कि महादेव मुझे कुछ नहीं हुआ। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि आपकी शक्ति के मुझपर इस्तेमाल से राख का निर्माण हुआ और जहां भी निर्माण होता है वहां पर मैं होता हूं।

तब भगवान विष्णु मुस्कुराए और महादेव से कहा कि मैं सृष्टि का संरक्षक हूं। मैं भी जानना चाहता हूं कि आपकी शक्ति का मुझ पर क्या असर होता है। तब शिव जी ने अपनी सारी शक्तियों का भगवान विष्णु पर प्रयोग किया तो वहां पर विराट का ढेर लग गया। लेकिन उसमें से आवाज आई कि महादेव मैं भी यहीं हूं। कृपा अपनी सारी शक्तियों का प्रयोग करें और ऐसा करने के बाद सारे राख के कण गायब हो गए। लेकिन एक कण रह गया। उस कण में से भगवान विष्णु पुनः प्रकट हुए और साबित हुआ कि उन्हें यानी सृष्टि के संरक्षक को कोई नहीं मार सकता।

तब महादेव ने सोचा कि ब्रह्मा जी और विष्णु जी का विनाश नहीं कर सकता और अगर मैं अपने आप का विनाश करूं तो उनका विनाश भी क्या हो जाएगा? क्योंकि अगर मैं नहीं रहा तो विनाश नहीं रहेगा और बिना विनाश के रचना नहीं हो सकती और अगर रचना नहीं होगी तो उसकी रक्षा की जरूरत नहीं रहेगी। यह सब बातें विष्णु जी मन ही मन सुनकर मुस्कुरा रहे थे और समझ गए कि महादेव क्या करने वाले हैं। भगवान शिव ने अपना विनाश कर दिया और राख में बदल गए, जैसा वे सोच रहे थे।

ब्रह्मा जी और विष्णु जी भी राख में बदल गए जिसके चलते अंधकार छा गया और वहां पर राख के ढेर के अलावा कुछ नहीं था। तब राख से आवाज आई कि यहां पर राख का निर्माण हुआ है और जहां पर निर्माण होता है वहां पर मैं होता हूं और उस राख से ब्रह्मा जी प्रकट हुए। उसके बाद विष्णु जी और अंत में शिव जी प्रकट हुए। क्योंकि जहां पर रचना होती है वहां पर सबसे पहले सुरक्षा थी और फिर विनाश। इस घटना से शिव जी ने जाना कि त्रिदेवों का विनाश असंभव है और इस घटना की स्मृति के लिए भगवान शिव ने इस राख को अपने शरीर पर लगा लिया। और तब से उन्हें शिव भस्म कहा गया।

त्रिदेव की आपस में तुलना करना व्यर्थ है और हमें उनकी भक्ति करनी चाहिए क्योंकि जहां रचना होगी वहां ब्रह्मा ब्रह्माजी होंगे। उस रचना के संरक्षण के लिए भगवान विष्णु और अगर रचना होगी तो भविष्य में उसका विनाश भी जरूरी है कि विनाश के बिना रचना संभव नहीं। इसलिए तीनों देवों की आवश्यकता है इस सृष्टि को चलाने के लिए।

नोट: इस पोस्ट को कोई भी अपनी धार्मिक आस्था के बिरुद्ध न ले जो लोग अपने किस भी देवता को मानते है बो उनके लिए सर्वोपरि है ये पोस्ट केवल ज्ञान मात्र के लिए लिखी गई है।

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