दोस्तों आज हम जानेंगे की dm ka full form kya hota hai और डीएम कैसे बन सकते है डीएम के कार्य भी हम जानेंगे।
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dm ka full form kya hota hai (कलेक्टर का फुल फॉर्म)
dm full form in hindi जिला मजिस्ट्रेट होती है dm की फुल फॉर्म इंग्लिश में District Magistrate होती है। न केवल हमारे माता-पिता हम से कुछ अपेक्षाएं रखते हैं बल्कि हम स्वयं भी स्वयं से बहुत अपेक्षाएं रखते हैं। जब भी हम किसी महान हस्ती को देखते हैं तो तुरंत ही सोचते हैं कि काश हम भी इतने ऊंचे पद पर पहुंच जाएं ताकि हमारे पास न केवल पैसा हो बल्कि समाज में हमारा सम्मान भी हो।
कई बार बच्चे माता पिता के कहने के कारण यूपीएससी या अन्य परीक्षाओं की तैयारी करते हैं जहां अक्सर वे अपनी रुचि किसी अन्य क्षेत्र में रखते हैं परंतु बिना मन के तैयारी करने लगते हैं लेकिन दूसरी तरफ वे बच्चे भी होते हैं।
जो इस परीक्षा को क्लियर करने का सपना देखते हैं और अपने लक्ष्य के लिए जी जान से मेहनत करते हैं। इन सब वे ही शिक्षार्थी सफल हो पाते हैं जो निरंतर अभ्यास करते हैं, आत्मविश्वास के साथ अपनी तैयारी करते हैं। आप सभी ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के बारे में सुना होगा। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट न केवल कानून व्यवस्था को संभालता है बल्कि अन्य भी कई महत्वपूर्ण कार्य करता है।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कौन होता है?
हम सभी जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक तथा विकेंद्रीकृत देश है। यह राज्यों में विभाजित है और उसके बाद अन्य निचले स्तरों में विभाजित है। लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए यह विभाजन आवश्यक है और नागरिकों की सुरक्षा व जरूरतों को पूरा करने के लिए कई महत्वपूर्ण पद निर्धारित किए गए हैं। जिसमें से एक पद डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का है।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पद का सृजन 1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने किया था। यह भारतीय प्रशासनिक सेवा का एक प्रशासनिक पद है । डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को कम शब्दों में डीएम कहा जाता है। वर्तमान में भारत में 748 जिले हैं प्रत्येक जिले में एक डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होता है जो वहां की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। डीएम को जिला न्यायाधीश भी कहा जाता है क्योंकि प्रत्येक जिले में एक न्यायालय होता है और उसका जो न्यायाधीश होता है वह ज़िला न्यायाधीश कहलाता है। यह पद वाकई बहुत सम्माननीय व शक्तिशाली होता है। डीएम की सहायता के लिए अन्य अधिकारी भी होते हैं जैसे- SDO (सब डिवीजन ऑफिसर), SDM (सब डिवीजन मजिस्ट्रेट), BDO (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) आदि।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के कार्य
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के कुछ निर्धारित कर्तव्य होते हैं। जैसे कि वह भूमि का अधिग्रहण करता है, भूमि का मूल्यांकन करता है, भूमि राजस्व से संबंधित सभी आंकड़े सुरक्षित रखता है। कृषि ऋण का वितरण करना, बाढ़ भूकंप जैसी आपदाओं के समय वह आपदा प्रबंधन का कार्य करता है, जब भी कभी बाहरी आक्रमण की घटना घटित होती है तब वह सुरक्षा प्रबंधन का कार्य भी करता है। धारा 144 लगाना, रैलियों के लिए अनुमति देना, जिले में यदि किसी भी प्रकार का दंगा हुआ है तो उसकी रिपोर्ट सरकार को देना। यह सभी कार्य डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के होते हैं। इस प्रकार वह अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखता है, लोगों की सुरक्षा करता है और शांति व्यवस्था को भी संभालता है।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कैसे बनें?
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनने के लिए कुछ नियम है जिनका पालन कर कोई भी इस पद तक पहुंच सकता है। यदि आप इस पद पर पहुंचना चाहते हैं तो आपको 12वीं के बाद ही कठिन परिश्रम करना आरंभ कर देना होगा। स्नातक के दौरान ही आपको समसामयिक घटनाओं पर नजर रखनी होगी और इसी के साथ साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू करनी होगी ताकि आप स्नातक पूरा करने के बाद UPSC ( संघ लोक सेवा आयोग ) की परीक्षा को दे पाए।
जैसा कि हम सभी जानते हैं यूपीएससी की परीक्षा तीन चरणों में होती है जिसमें पहले प्रारंभिक परीक्षा जिसमें ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं। प्राथमिक परीक्षा में दो प्रश्न पत्र होते हैं जिन्हें हल करने के लिए दो-दो घंटे का समय मिलता है। यदि आप इस परीक्षा में सफल होते हैं तो आप मेंस में बैठने के लिए योग्य हो जाते हैं।
मुख्य परीक्षा में सफल होने के बाद आपको साक्षात्कार के लिए बैठना होता है। इंटरव्यू के दौरान आपका ज्ञान, व्यक्तिगत कौशल तथा आपकी मानसिक क्षमता का भी परीक्षण किया जाता है और यह डीएम बनने के लिए अंतिम चरण होता है। इस स्तर को पार करने के बाद आपको ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है।
डीएम बनने के लिए आपको शीर्ष 100 में रैंक प्राप्त करनी होगी इसके बाद आप IAS ( Indian Administrative Service) बन जाते हैं। IAS बन जाने के बाद आपको निष्ठा पूर्वक और पूरी इमानदारी से अपना कार्य करना होता है इसके अलावा डीएम बनने के लिए और कुछ अतिरिक्त कार्य नहीं करना होता है। आईएएस अधिकारी को एक या दो बार प्रमोशन मिल जाने के बाद वह जिला अधिकारी बन जाता है।
डीएम बनने की आयु
जैसा कि हम सभी जानते हैं सरकार प्रशासनिक सेवाओं के लिए कुछ आयु सीमा निर्धारित करती है। जिसमें पिछड़े वर्गों को कुछ सालों की छूट प्रदान की जाती है। इसी प्रकार डीएम बनने की आयु में सामान्य वर्ग के लिए 21 से 32 वर्ष तक की आयु निर्धारित की गई है।
अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए यह आयु 21 से 35 वर्ष तक निर्धारित की गई है अर्थात उन्हें 3 साल की छूट प्रदान की गई है ।अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए यह आयु सीमा 21 वर्ष से 37 वर्ष तक है इस प्रकार उन्हें 5 साल की छूट देने का प्रावधान किया गया है।
इसके अतिरिक्त रक्षा सेवा कर्मियों को भी 3 वर्ष की छूट का प्रावधान है। पूर्व सैनिकों सहित कमीशन अधिकारियों को 5 साल की छूट दी गई है और अंधे, बहरे, मूक तथा विकलांगों को 10 वर्ष की छूट प्रदान की गई है। इसका अर्थ यह है कि आप इस निर्धारित आयु से ऊपर हो जाने के बाद डीएम नहीं बन सकते।
डीएम को दी जाने वाली सुविधाएं
ऊंचे पद पर जाने का एक उद्देश्य मोटी सैलरी भी है। कुछ अधिकारियों का वेतन देखकर हम अक्सर सोचते हैं कि हम भी इस स्तर पर पहुंच जाएं ताकि हम अपनी भौतिक जरूरत तथा अपने परिवार और समाज की जरूरतों को भी पूरा कर पायें।
डीएम को शुरुआत में 56000 वेतन मिलता है परंतु इसमें TA,DA,HRA शामिल नहीं होता है परंतु जैसे-जैसे आपका प्रमोशन होगा और आप अधिक ऊंचे पद पर पहुंचते जाएंगे आप का वेतन भी उसी हिसाब से बढ़ता रहेगा। डीएम को मासिक वेतन के अलावा अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं
उसे आने जाने के लिए गाड़ी दी जाती है तथा ड्राइवर दिया जाता है। रहने के लिए बंगला मिलता है। इसके साथ-साथ नौकर, माली, पी. ए भी दिया जाता है। सुरक्षा गार्ड भी प्रदान किया जाता है और रोजमर्रा की अन्य जरूरतें जैसे कि फोन, मुफ्त बिजली की सुविधा भी दी जाती है एवं TA (Travelling Allowance) यात्रा भत्ता, DA (Dearness Allowance) महंगाई भत्ता, HRA ( House Rent Allowance) घर का किराया चुकाने के लिए भत्ता भी दिया जाता है।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और कलेक्टर
एक महत्वपूर्ण सवाल ये उठता है कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और कलेक्टर दोनों एक ही पद है या दो अलग-अलग पद हैं? प्राय लोग इन दोनों को एक ही पद मानते हैं परंतु इन दोनों में अंतर है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं भारतीय लोकतंत्र चार खंभों पर टिका हुआ माना जाता है। विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया। इन सभी के अलग-अलग कार्य होते हैं परंतु कानून व्यवस्था बनाए रखने का कार्य कार्यपालिका को दिया जाता है। इस कार्य को पूरा करने के लिए जिस व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है उसे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहते हैं।
हमारे देश में आजादी से पूर्व तथा आजादी के बाद कई नियमों में बदलाव आए हैं। जिसमें से एक बदलाव इस क्षेत्र में भी हुआ है। आजादी से पूर्व न्यायिक शक्ति और कार्यकारी शक्ति दोनों एक ही व्यक्ति के पास होतीं थीं। परंतु जब संविधान लागू हुआ तो अनुच्छेद 50 के तहत यह शक्तियां अलग-अलग हो गयीं।
जिस कारण कलेक्टर और डिस्टिक मजिस्ट्रेट के कार्य भी अलग-अलग हो गए। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को उसकी कार्य शक्ति दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 से मिलती है जबकि कलेक्टर को उसकी कार्य शक्ति भूमि राजस्व संहिता, 1959 से मिलती है। परंतु देश में कई राज्य ऐसे हैं जहां डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट की शक्तियों में कलेक्टर की शक्तियों को भी शामिल कर लिया जाता है इसलिए लोगों को यह लगने लगता है कि कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट एक ही होते हैं।
डीएम बनने की तैयारी कैसे करें?
किसी भी विषय की तैयारी एक या दो दिन में नहीं हो पाती उसके लिए एक लंबी व नियमित तैयारी की आवश्यकता होती है। आप किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएट हो सकते हैं। ग्रेजुएशन के बाद आप डीएम बनने की परीक्षा देने के लिए योग्य हो जाते हैं। यदि आप डीएम बनना चाहते हैं तो ग्रेजुएशन के दौरान ही इस विषय पर ध्यान देना आरंभ कर दें। आप अपने आसपास की घटनाओं का पूरा लेखा-जोखा रखें इसके साथ साथ अच्छी पुस्तकें पढ़ें। एनसीईआरटी की किताबें अधिक से अधिक पढ़ने का प्रयास करें इससे आप की मूलभूत जानकारी मजबूत होगी।
समसामयिक घटनाओं को जानने के लिए रोज़ अखबार अवश्य पढ़ें तथा भारत के इतिहास को जानने के लिए भी निरंतर अध्ययन करें। क्योंकि डीएम का मुख्य उद्देश्य कानून व्यवस्था बनाए रखना है तो इसके लिए आपको कानून का ज्ञान होना भी आवश्यक है। इस ज्ञान को हासिल करने के लिए आप कानून से संबंधित पुस्तकें पढ़ सकते हैं।
इस सबके अलावा पिछले सालों में हुई परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों पर भी आप नजर रख सकते हैं। पिछले साल के परीक्षा पत्रों को हल करते वक्त आपको यह पता चलेगा कि प्रश्न किस विषय से आ रहे हैं और प्रश्नों की संरचना किस प्रकार की है।
यह थी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी। यदि आप भी इस पद पर पहुंचना चाहते हैं तो कठिन परिश्रम करने के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि कठिन परिश्रम से ही सब कुछ संभव है।