रस का शाब्दिक अर्थ – आस्वाध , आनंद , स्वाद , चाव
रस की प्रकृति/ परिचय – सृ धातु अर्थात क्रिया से बना शब्द जिसका अर्थ बहना होता है।
रस को आस्वाध कहा – आचार्य भरतमुनि
रस आनन्द कहा – रामचंद्र शुक्ल
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Ras in hindi
परिभाषा – किसी काव्य, वाक्य, घटना को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में जो आनंद की अनुभूति होती है।
रस के प्रतिपादक / प्रवर्तक / प्रणेता / जनक / संस्थापक – आचार्य भरतमुनि
रस सूत्र – विभानुभवी व्यभिचारी भाव संयोगात रस
भरतमुनि के अनुसार रस के अवयव – 3
- विभाव
- अनुभाव
- व्यभिचारी भाव
हिंदी में रस के अवयव / तत्व – 4
- स्थायी भाव
- विभाव
- अनुभाव
- संचारी भाव (व्यभिचारी भाव )
स्थायी भाव
रति | प्रेम |
उत्साह | जोश |
शोक | दुःख |
ह्रास | हँसी |
भय | डर |
क्रोध | गुस्सा |
विस्मय | आश्चर्य |
जुगुप्तसा | घृणा |
निर्वेद | शमन |
विभाग
विभाग दो प्रकार के होते है।
- आलम्बन (शेर / कुत्ता )
- उद्दीपन (स्थिति / परिस्थिति )
आलम्बन
किसी शेर या कुत्ते को देखकर मनुष्य में जो भय पैदा होता है उसे स्थायी भाव तथा जिसके कारण यह भय उत्पन्न होता है उसे आलम्बन कहते है जैसे यहाँ शेर या कुत्ता आलम्बन का काम कर रहे है।
उद्दीपन
यह स्थिति जो बनी की आपके पास न तो डंडा न कोई पेड़ जिस पर चढ़ जाये जिससे आप अपने आप को बचा सके जिससे आपका भय और भी ज्यादा बढ़ गया यह स्थिति उद्दीपन कहलाती है।
अनुभाव
ये चार प्रकार के होते है
कायिक
जब शेर को देखा तो हमारे शरीर ने कुछ अलग व्यव्हार किया जिससे कायिक अनुभाव पैदा हुआ।
वाचिक
शेर को देखकर या तो हम जोर से चिल्लायेंगे या हमारी आवाज नहीं निकलेगी जिससे वाचिक अनुभव पैदा हुआ।
आहार्य मानसिक
भय के कारण हमने सोचा की शेर तो मार कर खा जाता है हमने एक सोच बना ली जिससे मानसिक अनुभाव पैदा हुआ।
सात्विक आत्मीयता
अब शेर आया और आपको बिना देखे ही निकल गया आप भी सीधे ही चले गया तो तो आप भी खुश और शेर भी खुश जिससे सात्विक अनुभाव पैदा हुआ।
संचारी भाव या व्यभचारी भाव
शेर को देखर अगर ऐसी स्थिति पैदा हो की आप
- मूर्छा
- संतोष
- असंतोष
- चंचलता
- लालच
- निद्रा
- आलस्य
- गर्व
रस की संख्या बिभिन्न मत के अनुसार
- रस की कुल संख्या – 11
- संस्कृत में रस की संख्या – 11
- प्राकृत में रस की संख्या – 10
- हिंदी में रस की संख्या – 9
- भरतमुनि के अनुसार – 8
रस के भेद
- श्रृंगार रस
- वीर रस
- करुण रस
- हास्य रस
- भयानक रस
- रौद्र रस
- अदभुत रस
- विभित्स रस
- शान्त रस
श्रृंगार रस
1. संयोग श्रृंगार
दो वस्तु , प्राणी का परस्पर स्पर्श दर्शन होने पर संयोग श्रृंगार उत्पन्न होता है।
बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
सौहे करि सौहनि कहे देन नटीजाय।।
2. वियोग श्रंगार
दो वस्तु प्राणी का एक दूसरे से कुछ समय के लिए अलगाव वियोग श्रृंगार कहलाता है।
मधुबन तुम कहत रहत हरे।
बिन श्याम सुन्दर के तुम क्यों न जरे।।
वीर रस
किसी की रक्षा के लिए अपमानित होने पर, होते हुए अत्याचार को देखकर बच्चो , बृद्धजनो , माताओ के दुःख या इनके प्रति अत्याचार देखकर सुनकर पढ़कर जो ह्रदय में जोश उत्पन्न होता है उसे वीर रस कहते है।
जैसे :
चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुराणी थी।
हास्य रस
जब किसी की आकृति, बेषभूषा, हाव भाव, शारीरिक चेष्टाएँ, क्रिया कलाप को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय के अंदर जो ह्रास उत्पन्न होता है उससे हास्य रस की उत्पत्ति होती है।
जब धूम धाम से जाती है बारात किसी की
सजधज कर मन करता धक्का दे दूल्हे को
जा बैठा घोड़ी पर सपने में ही आपने शादी होती दिखती है।
करुण रस
किसी प्रिय व्यक्ति वस्तु प्राणी का हमेशा हमेशा के लिए चले जाना टूट जाना छति हो जाने के कारण हृदय में शोक उत्पन्न होता है जिससे करुण रस की उत्पत्ति होती है।
करुण रस में मिलने की उम्मीद समाप्त हो जाती है।
अभी तो मुकुट बंधा था मत
कल ही हुए हल्दी के हाथ
खुले बी न थे लाज के बोल
हाय रुक गया यह संसार
भयानक रस
एकांत स्थान घनघोर आवाज अँधेरी रात हिंसक प्राणी जेहरीले जीव जंतु बाढ़ अकाल सूखा आगजनी आदि घटना को देखकर सुनकर या पढ़कर हृदय में भय उत्पन्न होता है।
एक और अजगर लखि एक ओर मगराय।
विकल बटोही बीच में परयो मूर्छा खाय।।
अदभूत रस :विस्मय (आश्चर्य )
- जंहा असंभव कार्य को संभव करके दिखाया जाता है।
- कल्पना से परे की बिषम वस्तु घटना का वर्णन हो।
- जंहा आश्चर्य हर्ष आधी भावो को बढाकर दिखाया जाता है।
1.हनुमान की पूछ में लग पायी आग।
लंका सारी जल गई गए निशाचर भाग।।
2. आगे नदिया पढ़ी अपार घोडा कैसे जाये पार।
राणा ने सोचा इस पर , तब तक घोडा था उस पार।।
रौद्र रस
जंहा अपने व् परिवार के अपमान के कारण तथा स्वय के बुरे नुकसान या मर्यादा भांग होने के कारण दूसरे के बुरे व्यवहार व् कार्यो के कारण हृदय में जो क्रोध उतपन्न होता है उससे रौद्र रस कहते है।
जैसे :
कहा केकयी ने क्रोध दूर हो अरे। निर्बोध
विभित्स रस
किसी कटी , फटी , सड़ी , जाली हुई वस्तु पदार्थ प्राणी आधी की स्थिति को देखकर ह्रदय के अंदर जुगुप्तसा भाव उत्पन्न विभित्स रस की उत्पत्ति होती है।
जब किसी स्थिथिघटना विषय के कारण हृदय में ग्लानि से हम नक् भोहे आंख मुँह आधी धक् लेते है अर्थात बंद कर लेते है तो वह स्थति जुगुप्तसा कहलाती है।
शांत रस
निर्वेद (शमन ) – इछाओ को नियंत्रित कर लेना
ज्ञाननेंद्रियो व कमेंद्रियों पर विजय प्राप्त कर लेना।
जितेन्द्रिय की अवस्था
साधु साधवी तपस्वी मुनि ऋषियों की अवस्था
जंहा मन अपमान सुख दुःख रत दिन सर्दी नमी में समान रहा जाये तो यह स्थिति निर्वेद कहलाती है जिसके कारण हृदय में शांत रस पैदा होता है।
वात्सल्य रस
वात्सल्य (ममता , स्नेह )
- माता पुत्र का प्यार , लाड़ , प्रेम
- पिता – पुत्री का स्नेह , अनुराग
- बढ़ो का छोटो के प्रति प्रेम
- वाल – क्रीड़ा , बच्चो का ललन पालन
- शैशवास्था , बाल्यावस्था के क्रिया कलाप या गतिविधि
- बच्चे के गुणों व हाव भाव भंगिमाओं शारीरिक चेष्टाओं के द्वारा प्रदर्शन।
भक्ति रस
भक्ति बिषयक प्रेम
- जंहा भगवन के प्रति भक्त का प्रेम दिखाया जाये।
- किसी देवी या देवता का नाम हो या देवी देवता की स्तुति प्रार्थना हो
- देवी देवता य आराध्य देव अभीष्ट को याद किया जाये पुरस्कार जाये
Ras ke question
वीर रस का स्थायी भाव है
- क्रोध
- भय
- विस्मय
- उत्साह
निम्नलिखित प्रश्न में चार विकल्प में से उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है की जंहा किसी हानि के कारण शोक भाव उपस्थित होता है , वंहा किस रस की उपस्थिति रहती है।
- हास्य रस
- वीर रस
- वात्सल्य रस
- करुण रस
करुण रस स्थायी भाव होगा
- क्रोध
- शोक
- उत्साह
- विस्मय
रस का सम्बन्ध किस धातु से मन जाता है?
- सृ
- कृ
- पृ
- मृ
हास्य रस का स्थायी भाव है
- हास
- रति
- रौद्र
- वीभत्स
चमक उठी सन सत्तावन में वो तलवार पुराणी थी में रस का भेद बताए।
- भक्ति रस
- वीर रस
- हास्य रस
- श्रृंगार रस
स्थायी भावो की संख्या मानी गई है
- तीन
- चार
- आठ
- नौ
“हिमाद्रि तुंग श्रृंग से , प्रबुद्ध शुद्ध भारती।
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला , स्वतंत्रता पुकारती। उक्त पंक्ति में कोण सा रस है ?
- श्रृंगार
- वीर
- हास्य
- भयानक
विस्मय स्थायी भाव किस रस में होता है?
- वीभत्स
- अद्भुत
- शांत
- हास्य
निम्नलिखित प्रश्न में चार विकल्पों में से उस सही विकल्प का चयन करे जो बताता है कि संयोग और वियोग किस रस के रूप है ?
- वात्सल्य
- भयानक
- श्रृंगार
- अदभुत
निम्न में से किस रस का स्थायी भाव शोक है ?
- रौद्र
- वीर
- करुण
- भयानक
Bahut accha likha hai exam ke hasab se