क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया किसे कहते हैं – जिन शब्दों या शब्द समूह से किसी कार्य के होने या न होने का बोध हो वह क्रिया कहलाती है। 

  1. राम पढ़ता है 
  2. राम पुस्तक पढ़ रहा है 

क्रिया के भेद : 

 कर्म/ रचना/अर्थ के आधार पर क्रिया के भेद -2

  1. अकर्मक क्रिया 
  2. सकर्मक क्रिया 

अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जहाँ कर्म अनुपस्थित हो।

  1. राम पढता है। 
  2. मोदी पलंग पर सोता है।
  3. पक्षी आकाश में उड़ते है।
  4. योगी ज़मीन पर सोता है।  

सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जहाँ कर्म उपस्थित हो।

  1. राम पुस्तक पढ़ता है।
  2. बच्चे आकाश में पतंग उड़ाते हैं।

अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया में अंतर

अकर्मक क्रियासकर्मक क्रिया
कर्ता की प्रधनता होती है। कर्म की प्राधनता होती है।
क्रिया के फल का प्रभाव सीधा होता है क्रिया के फल का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है।
वाकय में क्या लगाने पर उत्तर प्राप्त नहीं मिलता है वाक्य में क्या लगाने पर उत्तर प्राप्त होता है। 
जहाँ कार्य संपन्न होता है उसे आधार कहतें हैं कर्म नहीं।
अकर्मक क्रिया के उदाहरण:सकर्मक क्रिया के उदाहरण:
मोर नाचता है।
शेर दौड़ता है 
कुत्ता भोंकता है। 
राधा कहती है 
सीता गाती है 
राम अखबार पढता है।
सीता नृत्य करती है।
गीता खाना कहती है।
ड्राइवर बस चलता है।
माली ने पके आम तोड़े।  

क्रिया के प्रकार

मूल क्रिया या धातु :

क्रिया का सबसे छोटा रूप जा, पढ़, लिख, खा, पी, खेल, हंस आदि।  

सामान्य क्रिया

क्रिया का ना अंत वाला रूप मूल क्रिया में ना जोड़ने पर सामान्य क्रिया बनती है। जैसे :- जाना, पढ़ना, लिखना, खेलना, खाना, पीना, हसना, गाना आदि।  

साधारण क्रिया

क्रिया की समापति वाला रूप, मूल क्रिया में कर जोड़ने पर साधरण क्रिया बनती है, जाकर खाकर पीकर खेलकर पढ़कर लिखकर हंसकर, दौड़कर।

मूल क्रिया + कर = साधारण क्रिया

धातु + कर = साधारण क्रिया

सहायक क्रिया

मूल क्रिया के साथ ता, ती, तो + है, हो, हूँ जोड़ने पर मूल क्रिया ता, ती, तो, है, हो, हूँ, + रहा है, रही हूँ, रहे हो,+ होगा, होंगे, होगा+ चूका, चुके चुकी+ था, थी, थे आदि शब्द आते हैं।

संयुक्त क्रिया

  1. जहाँ दो क्रिया एक साथ आरम्भ हो और एक साथ समाप्त हो। 

जैसे :

  1. वह दौड़ते-दौड़ते थक गया।
  2. वह उसे अचानक मार बैठा।
  3. दाल में घी डाल देना।
  4. आप बाद में दे देना।
  5. मोहन से पुस्तक ले लेना। 

2. जहाँ कार्य का आरम्भ होना पाया जाए।

जैसे:- पानी बरस रहा है।

3. जहाँ सनातन सत्य हो।

  1. सूरज पूर्व दिशा में निकलता है।
  2. पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।

4. जहाँ विवशता हो 

जैसे: गरीब की जोरू सब की भाभी होती है।

5. जहाँ धमकी दी जाए

जैसे : तुझे मार डालूंगा 

6. जहाँ अवकाश की बात की जाए 

जैसे: मैं कल घर नहीं आऊंगा।

मैं अब घर जा रहा हूँ। 

7. जहाँ कार्य की समाप्ति का वर्णन हो।

 जैसे: मैं अब घर जा रहा हूँ 

पूर्वकालिक क्रिया

  • जहाँ दो क्रियायें हो उनमे से एक क्रिया पहले समय में समाप्त हो जाए तो वह क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।
  • पहले समय में समाप्त होने वाली क्रिया।
  • जहाँ एक क्रिया समाप्त हो दूसरी जारी हो। 

उदहारण:

  1. मैं रोज दूध पीकर सोता हूँ।
  2. मैं चाय पीकर अख़बार पढता हूँ।
  3. मैं पुस्तक पढ़कर रजिस्टर पर बिंदुओं को लिखता हूँ।  

प्रेणार्थक क्रिया

जहाँ प्रेरित कर्ता द्वारा कार्य किये जाए।

प्रेरक कर्ता :- कार्य को स्वयं न करके दूसरे को दूसरे को प्रेरित करता है।

प्रेरित कर्ता :- प्रेरणा लेकर कार्य का संपन्न करता है।

उदाहरण:

  1. मालिक ने किसान से खेत जुतवाया।  
  2. शीला मोची से जुटे पोलिश करवाए।  
  3. रमेश ने सुरेश से चाय बनवायी।  

द्विकर्मक क्रिया

जहाँ दो क्रिया के बीच कार्य सम्पन्न हो, इसमें दो कर्ता के होने तथा परस्पर सहयोग से ही कार्य संपन्न हो पाता है।  उदहारण:

  1. माताजी ने बच्चो को खाने के लिए लड्डू दिए।
  2. राम ने श्याम को सौ रुपए उधर दिए।  

नामधातु क्रिया

  • जहाँ संज्ञा सर्वनाम विशेषण शब्दों से क्रिया बनाई जाती है
  • संज्ञा सर्वनाम विशेषण शब्दों में आना/ आवाना प्रत्त्य लगाकर नाम धातु क्रिया बनती हैं।

उदहारण:

  1. जरा मेहमानो के लिए चाय गरमा देना।
  2. पोलिश चोर को लतियाते हुए थाने ले गयी।
  3. सड़क पर बच्चे बतियाते हुए जा रहे हैं।
  4. शर्माना, लज्जाना, गुर्राना, हिनहिंनाना, घबराना आदि।  

अव्यय किसे कहते हैं

अव्यय का मतलब जो शब्द जैसे होते हैं उनका वैसा ही प्रयोग होता है। जिन शब्दों के ऊपर किसी लिंग वचन, काल , कारक पुरुष, आदि का कोई प्रभाव न पड़े। जो शब्द लिंग, वचन,पुरुष, कारक, का प्रभाव पड़ने पर अपरिवर्तित रहते हो अव्यय कहलाते हैं। अव्यय शब्दों का दूसरा नाम अविकारी शब्द होता है।  

अव्यय के भेद 

  1. क्रिया विशेषण अव्यय 
  2. सम्बन्ध बोधक अव्यय 
  3. समुच्चय बोधक अव्यय 
  4. विस्मय बोधक अव्यय 
  5. निपात 

क्रिया विशेषण अव्यय

जो शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हो। क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द जो अपरिवर्तित रहतें हैं।  

क्रिया विशेषण अव्यय 4 प्रकार के होते हैं 

  1. कालवाची अव्यय
  2. स्थानवाची अव्यय
  3. परिणामवाची अव्यय,
  4. रीतिवाची अव्यय 
क्रिया विशेषण अव्यय के प्रकार
कालवाची

अब, जब, तब, कब, आज, अभी, कल, फिर, कभी, अभी-अभी, हमेशा, परसों आदि।

स्थानवाची

आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, दाएं, वायें इधर-उधर किधर, जिधर, यहाँ, वहां, कहाँ, अंदर, बाहर, इस ओर, उस ओर। 

परिमानवाची

अल्प, न्यून, कम, थोड़ा, ज़्यादा, बहुत, स्वल्प, अत्यधिक, सर्वाधिक, नविनाधिक, बूँद-बूँद अत्यल्प (अत्यंत-अलप) 

रीतिवाची

अचानक एकाएक, सहसा, ध्यानपूर्वक, श्रद्धापूर्वक, कुशलपूर्वक, तेज़, जल्दी धीरे।    

संबोधक अव्यय :-  सेनाये आगे बढ़ी, सेनाये युद्ध क्षेत्र में आगे बढ़ी, घर से बाहर जाओ, बन्दर दीवार के ऊपर बैठा है। 

सम्मुचय बोधक अव्यय

वे अव्यय शब्द जो दो शब्दों, अव्ययों वाक्यों को जोड़ने या अलग करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, समुच्चय का शाब्दिक अर्थ जोड़ना होता है तथा अव्यय वे अपरिपर्तित शब्द कहलाते हैं जिनके ऊपर लिंग,वचन कारक पुरुष, काल का कोई प्रभाब नहीं पड़ता। इन अव्यय का प्रयोग अकेले या शब्द वाक्यांश तथा वाकय के साथ किया जाता है। 

समुच्चय बोधक अव्यय दो प्रकार  के होते हैं 

समानाधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय

ये सामान आधार वाले शब्दों व् वाक्य को जोड़ने के लिए प्रयुक्त होते हैं 

जैसे :-

  1. राम व् श्याम तथा मोहन और सोहन आपस में खेलते हैं।
  2. मैं बाजार गया वहां से आलू मटर तथा गाजर लेकर आया। 

अव्यय – और व अथवा तथा च या आदि 

व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय

जो अलग- अलग आधार वाले शब्दों वाक्यांश वाक्य को जोड़ने का कार्य करता है। 

जैसे :- कि, चुकि, ताकि जिससे कि उससे कि जितना, उतना जिसने, इसलिए किन्तु परन्तु बल्कि लेकिन वरन ज्यों, त्यों, जैसे, वैसे, जैसा, वैसा जितनी, उतनी। 

उदहारण:

  1. गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो 
  2. सूरज निकला इसलिए अँधेरा भागा 
  3. यद्यपि मैं वहां नहीं था तथापि पूरी घटना बता सकता हूँ 
  4. कृष्णा व बलराम भाई थे  
  5. जितनी आमदनी उतना खर्च।  

विस्मय बोधक अव्यय

इसका अन्य नाम सम्बोधन बोधक अव्यय भी होता है

इस की पहचान विस्मय अर्थात सम्बोधन चिन्ह से होती है

विस्मय बोधक अव्यय आश्चर्य, हर्ष, शोक, ग्लानि, घृणा, आशीर्वाद स्वीकृति, सम्बोधन के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं।

आश्चर्यहर्षशोकग्लानि/घृणाआशीर्वाद सम्बोधन
वाह!वाह!हाय हायछी छीजीते रहो हे!
आह!ओये!त्राहि त्राहि थू-थू दीर्घायु ओ!
शाबाश!ओहो!बाप रे बापधत तेरे कीआयुष्मान भाव:ऐ!
अहा!बस करो धिक्कार है हेलो!
  1. शाबाश! आपने तो कमाल कर दिया।
  2. वाह! कितना अच्छा मौसम है।
  3. आह! कितना अद्यभुत बच्चा है।  
  4. ओहो! गज़ब हो गया।

निपात किसे कहते हैं

निपात अव्यय शब्दों की तरह ही किसी लिंग वचन, पुरुष, काल, कारक, में परिवर्तित नहीं होते। निपात अविकारी शब्द होते हैं, निपात के प्रयोग से शब्दो में, वाक्यों में प्रभाब उत्पन्न हो जाता है।  

निपात शब्द :- तो, भी, तक, नहीं, न, ना, नी, मना, मत, तथा, खुद, स्वतः, स्वयं, केवल, मात्र, सिर्फ, लगभग, तकरीबन, निषेध वर्णित ही आदि।

उदहारण:

  1. मैं यह काम कर सकता हूँ।
  2. मैं भी यह काम कर सकता हूँ।
  3. यहाँ गाडी कड़ी करना मना है।
  4. ध्रूमपान वर्जित है।
  5. प्रवेश निषेध है।
  6. शोर मत करो।

alankar kise kahate hain

वाक्य किसे कहते है?

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