किसी काव्य, वाक्य, घटना को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में जो आनंद की अनुभूति होती है।
श्रृंगार रस
वीररस
करुण रस
हास्य रस
भयानक रस
रौद्र रस
अदभुत रस
विभित्स रस
शान्त रस
श्रंगार रस दो प्रकार के होते है।
संयोग श्रृंगार
वियोग श्रंगार
किसी की रक्षा के लिए अपमानित होने पर, होते हुए अत्याचार को देखकर बच्चो , बृद्धजनो , माताओ के दुःख या इनके प्रति अत्याचार देखकर सुनकर पढ़कर जो ह्रदय में जोश उत्पन्न होता है उसे वीर रस कहते है।
जब किसी की आकृति, बेषभूषा, हाव भाव, शारीरिक चेष्टाएँ, क्रिया कलाप को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय के अंदर जो ह्रास उत्पन्न होता है उससे हास्य रस की उत्पत्ति होती है।