राष्ट्रीय आय का मतलब क्या होता है?
देश में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित वस्तु सेवा का कुल मौद्रिक मूल्य national income कहलाती है national income में दोहरी गणना नहीं की जाती इसकी सबसे पहले गणना दादा भाई नौरोजी ने 1868 में की थी उन्होंने बताया कि भारत की national income, 340 करोड़ है और प्रति व्यक्ति आय ₹20 वार्षिक है यह सारी बातें दादा भाई नौरोजी की पुस्तक पॉवर्टी एंड ऑन ब्रिटिश रूल इन इंडिया में बताया।
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राष्ट्रीय आय National income kya hai
राष्ट्रीय आय की प्रथम वैज्ञानिक गणना वी के आर वी राव द्वारा शुरू की इन्होंने 1926 से 1930 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया उन्होंने बताया कि प्रति व्यक्ति आय ₹76 वर्ष है इन्होने अपनी किताब national income इन ब्रिटिश इंडिया में बताया की अगर प्रति व्यक्ति आय को भारत की जनसंख्या से गुणा कर दी जाए तो भारत की राष्ट्रीय आय निकल जाएगी इन्होंने राष्ट्रीय आय का आकलन करने के लिए दो स्थितियां अपनाई।

उत्पादन लागत प्रणाली
किसी वस्तु के उत्पादन में क्या रकम आ रही है।
आय निर्गत प्रणाली
किसी वस्तु के उत्पादन से इनकम क्या हो रही है।
National income committee (NIC)
जिस समय भारत आजाद हुआ तो उस समय भारत की national income की गणना के लिए एक कमेटी बनाई गई जिसका नाम NIC था।
NIC का गठन 1947 में हुआ इस इस समिति के अध्यक्ष पी सी महालनोविस बनाए गए इसके 2 सदस्य वी के आरवी राव और डि आर गाडगिल थे उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था का 3 वर्षों तक अध्ययन किया 1948-1949, 1949-1950, 1950-1951. उन्होंने बताया 8650 करोड रुपए भारत की वार्षिक आय है और प्रति व्यक्ति आय 246.90 पैसे बताया।
Central statistical organization (CSO)
CSO एक केंद्रीय सांख्यिकी संगठन है यह प्रतिवर्ष भारत की national income का आकलन करता है आकलन करने के बाद यह एक पुस्तक प्रकाशित करता है जिससे राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी कहते हैं जिसे श्वेत पत्र भी कहा जाता है CSO जब भारत में स्थापित हुआ तो भारत अर्थव्यवस्था को तीन भागों में बांटा गया।
प्राथमिक क्षेत्र (कृषि क्षेत्र)
प्रकृति से जो उत्पाद हमें प्राप्त होता है उसे हम उसी रूप में उपयोग में ले लेते हैं ऐसे समस्त क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र में आते हैं।
द्वितीय क्षेत्र (उद्योग क्षेत्र)
जब प्राथमिक क्षेत्र का उत्पाद से हमें द्वितीय क्षेत्र का उत्पाद प्राप्त होता है उसे द्वितीय क्षेत्र में रखा गया है।
तृतीय क्षेत्र सेवा क्षेत्र तृतीय
तृतीय क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र
- रेल और यातायात
- बैंक बीमा संचार
- विदेशी सम व्यवहार किसी विदेशी कंपनी के द्वारा सर्विस लेना
- सार्वजनिक प्रशासन सुरक्षा
- व्यापार होटल रेस्टोरेंट
- अबास और स्थाई संपदा
- अन्य
अर्थव्यवस्था की अवधारणाएं
राष्ट्रीय आय को ज्ञात करने के चार तरीके है।
Gross domestic product सकल घरेलू उत्पाद
एक वित्तीय वर्ष मी देश की भौगोलिक सीमा के अंदर जो वस्तु और सेवा का निवासी या अनिवासी के द्वारा उत्पादन होता है तथा उसका अंतिम मौद्रिक मूल्य निकाला जाता है तो वह जीडीपी कहलाता है। यह किसी अर्थव्यवस्था की आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।
सकल घरेलू उत्पाद अर्थव्यवस्था की उत्पादकता की मात्रा का अनुमान देता है गुणात्मकता के तत्व को यह नहीं दर्शाता है।
Net domestic product (NDP)
शुद्ध घरेलू उत्पाद किसी अर्थव्यवस्था का वह जीडीपी है जिसमें 1 वर्ष का मूल्यह्रास/ घिसावट/ टूट-फूट को घटाकर प्राप्त किया जाता है।
NDP = GDP – DEPRECIATION (ह्वास)
प्रत्येक अर्थव्यवस्था की एनडीपी उसके उसके जीडीपी के हमेशा कम होती है क्योंकि घिसावट को सुनने करना अब तक संभव नहीं हो सका।
यह अवधारणा घरेलू उपयोग में लाई जाती है क्योंकि यह ही संसाधन उपकरण मशीनरी के हिसाब अटकी वार्षिक दर अलग-अलग अर्थव्यवस्थाओं में एक ही समय में अलग-अलग हो सकती है।
Gross National product (GNP)
जब देश के नागरिकों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अंदर या बाहर वस्तु एवं सेवाओं के अंतिम मौद्रिक मूल्य में जब उस वर्ष की विदेशी आए को जोड़ते हैं तो वह जीएनपी कहलाती है।
यह जीडीपी में देश के नागरिकों द्वारा उत्पादित विदेशी आए को जोड़ने और देश में विदेशी नागरिकों द्वारा उत्पादित आए को घटाने पर प्राप्त होती है।
GNP = GDP + विदेश में भारतीयों की आय (X) – भारत में विदेशियों की आय (M)
GNP = GDP + X – M
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद Net National product (NNP)
GNP gross National product मैं से ह्रास निकाल दे तो जो आय बचती है उसे NNP कहते हैं।