•ऊर्जा संरक्षण का नियम (law of conservation of energy):
ऊर्जा संरक्षण का नियम आइंस्टीन द्वारा दियागया उर्जा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है केवल ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है।

•द्रव्यमान संरक्षण का नियम ( Law of mass conservation):
द्रव्यमान संरक्षण का नियम आइंस्टीन द्वारा दिया गया द्रव्य को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही इसे नष्ट किया जा सकता है द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।
•आइंस्टीन की द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण (Mass energy equation of Einstein):
E=MC^2E उर्जा m द्रव्यमान c प्रकाश का वेग (नियतांक)प्रकाश का वेग नियत होने के कारण किसी पदार्थ का द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित होता है।
•सौर सेल (solar cell):
सौर सेल सेलेनियम ,जर्मीनियम, सिलिकॉन, कार्बन आदि अर्धचालकों के बने होते हैं। सामान्यता सोर बने होते हैं – सिलिकॉन सेलेनियम की दक्षता सर्वाधिक होने के कारण सौर सेल में अधिकतर सेलेनियम अर्धचालक का प्रयोग किया जाता है। सौर सेल सूर्य के प्रकाश से फोटोन को ग्रहण करके प्रकाश विद्युत प्रभाव द्वारा इलेक्ट्रान उत्सर्जित करते हैं। सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
उदाहरण
डायनेमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
मोमबत्ती का जलना
मोमबत्ती का जलना एक रासायनिक क्रिया है
बाहरी भाग ज्वाला का रंग नीला सर्वाधिक गर्म भाग
मध्य भाग ज्वाला का रंग पीला कुछ गर्म भाग
निचला भाग ज्वाला का रंग काला सबसे कम गर्म भाग
गुरुत्व केंद्र(Gravity centre):
जिस बिंदु पर वस्तु का समस्त बाहर केंद्रित होता है है वह गुरुत्व केंद्र कहलाता है।आकार बदलने से गुरुत्व केंद्र बदल जाता है।अंगूठी परिधि के बाहरठोस गोला केंद्रशंक्वाकार ठोस -अक्ष पर आधार से 1/ 4 ऊंचाई परखोकला शंकु- अक्ष पर आधार से 1/3 ऊंचाई पर
संतुलन(equilibrium):
अपनी स्थिति में पुनः वापस आ जाने वाली वस्तु स्थाई संतुलन में कहलाती है अपने चौड़े मुंह पर रखा शंकु स्थाई संतुलन का उदाहरण है
किसी नई अवस्था में संतुलित हो जाने वाली वस्तु उदासीन संतुलन में कहलाती है तथा वस्तु की स्थिति बदलने पर भी गुरुत्व केंद्र की स्थिति नहीं बदलती है गेंद बेलन आदि उदासीन संतुलन के उदाहरण हैं
स्थाई संतुलन के लिए बस तू गुरुत्व केंद्र के अधिकतम निकट होनी चाहिए तथा गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्दू आदर रेखा वस्तु के आधार से होकर जानी चाहिए
पहाड़ पर चढ़ते समय एक तरफ बोझा ढोते समय या पीठ पर बोझा ढोते समय कोई व्यक्ति झुक कर चलता है जिससे गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्दू आदर रेखा उसके पैरों से होकर जाती है और वह संतुलन की स्थिति में रहता है
पीसा की मीनार तिरछी होने पर भी नहीं गिरती क्योंकि ऊर्ध्वाधर रेखा उसके आधार से गुजरती है