Heart in hindi-ह्रदय
ह्रदय एक खोखला पेशिये पंप होता है, जो रुधिर के परिसंचरण circulation को बनाये रखता है।
रुधिर वाहिनियाँ blood vessels: जिनमे धमनिया arteries, केशिकाएं capillaries और शिराएँ veins सम्मिलित होती है।
रुधिर blood: जिसे तरल संयोजी उत्तको की भाती भी जाना जाता है जो विभिन्न पदार्थो को अलग अलग ऊतकों व अंगो में पहुँचता है तथा वंहा दूसरे पदार्थो को लाता है।
ह्रदय Heart in Hindi
मानव ह्रदय एक खोखला, शंक्वाकार conical चार कोष्ठीय और पेशिये रचना होती है ,जो फुफुस मध्यावकाश media sterna अर्ताथ वक्ष गुहिका में दोनों फुफुसो के बिच के अवकाश में स्तिथ पाया जाता है।
मानव ह्रदय की आकृति लगभग एक ऐसे शंकु की भांति होती है, जिसका नुकीला शीर्ष apex निचे को और तथा चौड़ा आधार base ऊपर की और होता है तथा यह diaphargm पर तिरछा टिका रहता है।
इसका नुकीला शीर्ष मध्य रेखा से लगभग 8 सेमी दूर पाचवे अन्तरापर्शुक intercostal अवकाश के स्टार पर स्थित रहता है। मानव ह्रदय की माप बंद मुट्ठी के सामान होती है
मानव ह्रदय एक दोहरे तंतुमय थैले में बंद रहता है जिसे pericardium कहते है।
मानव ह्रदय में तीन ताल होते है
- अग्र तल या उरोस्थि अपर्शुकि sterno costal
- अधोवर्ती तल inferior या मध्य पटिए diapharagmatic
- पश्चवर्ती तल या आधार base
मानव ह्रदय को बहरी सतह पर तीन दरारे या विदरे sulci होती है जो उसे तीन बाह्य प्रभागों में विभाजित करती है। इनमे से हद विदर coronary sulcus ह्रदय के अलिंद तथा निलय को अलग अलग करती है।
दूसरी अन्तरालिंद विदर द्वारा दाहिना और बांया अलिंद अलग अलग होते है जिनमे दाहिना अलिंद बाये अलिंद के मुकाबले छोटा होता है
अलिंद Auricles
दोनों अलिंदो में शरीर के विभिन्न अंगो से रुधिर आता है प्रत्येक अलिंद के दो भाग होते है जिनमे एक मुख्य गुहा होती है इसी गुहा को साइनस वैनेरम कहते है।
निलय ventricle
ये मानव ह्रदय का आधे से भी अधिक भाग बनती है और इन दोनों में भी बाई निलय दाई निलय से बड़ी हो जाती है तथा ह्रदय के शीर्ष का निर्माण करती है
हृदय की आंतरिक संरचना
मानव हृदय की दीवार हृद पेशियों से निर्मित होती है ये पेशियां शाखान्वित और रेखित लेकिन अनेच्छिक होती है। इस स्तर को पेशीहृद स्तर या मयोकार्डियम कहते है इसकी आंतरिक सतह पर एण्डोडर्म से विकसित अन्तः हृद स्तर तथा बाहरी सतह पर बाह्य ह्रद स्तर होता है।
दोनों अलिंद एक अनुलंब अंतरा अलिंद पट inter auricular senlum द्वारा एक दूसरे से अलग होते है इस पट के पिछले भाग पर फोसा ओवलिस नमक अंडाकार गढ्डा होता है।
अलिं दो की भिति से अनेक लघु पेशीय पट्टियां गुहा में उभरी रहती है जिन्हे कंघाकर पेशीय musculi pectinati कहते है दाए अलिंद में अलग अलग छेद द्वारा तीन महाशिराए venae cavae खुलती हैं। दाई अग्र महाशिरा का छेद इस अलिंद के अग्र भाग में बाई का पीछे वाले भाग में बायी और तथा पश्च महाशीर का पृष्ठ दीवार में होता है।
एक झिलिनुमा वलन या युस्टेकियन कपाट eustachian valve पश्च महाशीरा के छेद से लेकर फॉसा ओवलीस तक फैला रहता है बाई अग्र महाशिरा के छिद्र के समीप हृदय कि दीवार से अशुद्ध रुधिर अलिंद में लाने वाले कोरेनरी साइनस coronary sinus का छिद्र होता हैं।

बाए अलिंद में फेफड़ों में शुद्ध रक्त लाने वाली फुफुसिए शिराए pulmonary veins खुलती है।
दोनों निलयो ventricles के बीच में भी एक पेशीय प ट होता है जिसे अंतरा निलय पट कहते है एक एक बड़े अलिंद निलय छिद्र द्वारा अलिंद अपनी अपनी ओर के निलायो में खुलते है दाए छिद्र पर स्तिथ दाया अलिंद निलय कपाट केवल तीन वालनो का होता है तथा त्री वाल न कपाट कहलाता है ।
ये कपाट रुधिर को अलिंद से निलय में तो जाने देता है लेकिन वापस नहीं आने देता दोनों कपटो के वलन या परदे कंडरीय राज्जुओ द्वारा निलयों की भितरी दीवारों पर मोटे पेशी स्तंभों या पैपिलरी पेशियों से जुड़े रहते है ।
दाएं निलय के अगले बाए सिरे से पल्मोनरी चाप या एओर्टा निकलकर फेफड़ों को अशुद्ध रुधिर पहुंचाता है इसी स्थान पर तीन अर्धचंद्राकार कपाट होते है जो रुधिर को पल्मोनरी एओर्टा से उल्टे निलय में आने से रोकते हैं।
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