Diwali Essay in hindi

भारत में दिवाली बड़े त्योहारों में से एक है जोकि यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। दिवाली त्यौहार हिंदू धर्म के लोग मानते हैं। इस त्यौहार को बड़े हर्ष और उल्लास से हिंदू धर्म के लोग मनाते हैं।

दिवाली त्योहार खुशियों भरा होता है इसमें आपको बेहद रोचक और पौराणिक कथाएं जिनको हम इस लेख में इस निबंध के द्वारा बताएंगे।

प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च प्राथमिक विद्यालयों में दीपावली पर निबंध लिखने के लिए बच्चों से परीक्षा में कहा जाता है।

दिवाली पर पूछे गए आप लोगों के प्रश्नों के उत्तर इस निबंध के द्वारा मिल जाएंगे। जैसे दिवाली का अर्थ क्या होता है।

तथा दिवाली को क्यों मनाते हैं, व दीवाली मनाने का कारण क्या है ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर हम इस कंटेंट के माध्यम से संतुष्ट पूर्ण दे रहे हैं। तो चलिए Diwali essay in hindi की शुरुआत करते हैं।

दिवाली शब्द की उत्पत्ति

दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है । संस्कृत भाषा के शब्द दीप तथा आवली जिनका क्रम सा अर्थ है दीप का मतलब दिया होता है तथा अवली का मतलब एक लाइन होती है।

इन दोनों को मिलाकर दीपावली बनाया गया है। दीपावली शब्द एक यौगिक शब्द है। धीरे-धीरे दीपावली को हम लोग दिवाली में बदल दिया तथा दिवाली शब्द एक तद्भव शब्द है।

परंतु शुद्ध शब्द कि यदि बात की जाए तो दीपावली है दिवाली का अर्थ है, कि किसी पट्टी को खींचकर खान चलाए जाते हैं उसको दिवाली कहते हैं।

दिवाली पर निबंध Diwali essay in hindi

हम सभी के जीवन में प्रत्येक साल दिवाली खुशियां लेकर आता है। जब हम वर्ष भर अपने परिवार से दूर-दूर रहते हैं परंतु दिवाली के दिन हम सब फिर से इकट्ठा होते हैं तो काफी खुशी होती है।

जैसे ही दिवाली आती है लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने लगते हैं चारों तरफ चहल-पहल होने लगती है घरों से लेकर बाजारों तक एक रौनक छा जाती है।

सभी के लिए दिवाली में नए कपड़े तथा मिठाइयां परिवार के बड़े सदस्य लेकर आते हैं।

इस दिन को जैन समुदाय के लोग महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। तथा इसके अतिरिक्त सिख समुदाय के लोग बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं।

प्रस्तावना

इस त्यौहार को मनाने के लिए हिंदू धर्म के लोग काफी आस लगाए बैठे रहते हैं। यह त्यौहार बच्चों से लेकर बड़ों तक पसंद आता है।

दिवाली आते ही बाजारों में पटाखों की दुकानें लगने लगती हैं तथा मिट्टी के दिए व मोमबत्ती जोरो शोरों से बिकने लगती हैं।

दिवाली त्यौहार जाड़ों के मौसम में मनाया जाता है। यह भारतीय संस्कृति के अनुसार मनाया जाता है। दीपावली त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या अमावस्या के दिन मनाया जाता है।

दिवाली त्यौहार सनातन धर्म का त्यौहार है। दिवाली को दीपोत्सव भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन श्री राम चंद्र 12 वर्ष के वनवास से अयोध्या आए हुए थे।

इस दिन अयोध्या वासियों ने अपने अपने घरों में घी के दिए जलाए थे। इसी दिन से आज भी उसी प्रक्रिया के साथ त्यौहार को मनाया जा रहा है।

इस त्यौहार को बौद्ध तथा सिख और जैन धर्मों के लोग भी बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। आगे हम दिवाली से जुड़े अपने व्यक्तिगत अनुभव को छात्रों के साथ साझा करेंगे।

दिवाली का महत्व

माना जाता है कि श्री रामचंद्र अपने पिता जी के आदेश का पालन करते हुए, 14 वर्ष बाद वनवास से अयोध्या लौटे थे । अयोध्या वासी इस दिन को त्यौहार रूप में मानते हैं।

इसी दिन अयोध्या में राम के आने से अपने अपने घरों में घी के दिए जलाए थे । उसी प्राचीन परंपरा अनुसार आज वर्तमान में भी त्यौहार को मनाया जा रहा है।

कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली पड़ती है इसी दिन रात्रि के समय भारत मे दीयों से रोशनी की जाती है।

भारतीय लोग इस दिन को बुराई पर सत्य की जीत हुई थी ऐसा मानते हैं। दीवाली की तैयारियां हमारे घरों में कुछ सप्ताह पहले ही शुरू हो जाते हैं।

जैसे कि अपने घरों की सफाई करना तथा चीजों की मरम्मत करना, घर का पेंट करवाना आदि तैयारियां होने लगती हैं । इन दिनों बाजारों में भीड़ वा काफी चहल-पहल रहती है।

दिवाली का इतिहास

पद्म पुराण तथा स्कंद पुराण में दिवाली का उल्लेख मिलता है। इस त्यौहार को प्राचीन काल से गर्मियों के बाद में तथा कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है।

कहा जाता है, कि पद्म पुराण तथा स्कंद पुराण पहली शताब्दी के दूसरे भाग में किसी केंद्रीय विस्तृत पाठ के रूप में लिखे गए थे।

सूर्य पुराण में क्या कहा गया है कि सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला सूर्य है, जोकि जीवन के लिए रोशनी वा मुफ्त में ऊर्जा देता है।

कुछ हिंदू पंडित दिवाली को नचिकेता तथा यम से जोड़ते हैं, लेकिन इसका कोई लिखित साक्ष्य नहीं है।

कुछ हिंदू दिवाली को रामायण से जोड़ते हैं यह इसलिए इस दिन रामचंद्र ने सीता को रावण की कैद से छुड़ाया था तथा सीता अग्नि परीक्षा लेकर 14 वर्ष का वनवास श्री रामचंद्र जी के साथ अयोध्या वापस आए थे।

इसी कारण से अयोध्या वासियों ने दीए जलाए थे, तभी से दिवाली को एक पर्व के रूप में मनाते हैं।

ऐसा कहा जाता है, कि अलबरूनी इतिहासकार ने भारत पर अपनी 11वीं शताब्दी के याद में दिवाली को कार्तिक माह में नए चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार कहां है।

इस दिन घरों की सफाई तथा घरों व सड़कों और बाजारों को सजाया दी दीपों से जाता है।

दीपावली का महत्व

दीपावली त्यौहार नेपाल देश में भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत तथा नेपाल में खुशियों की छुट्टियां होती है। लोग अपने घरों को साफ करके उन्हें दीपू तथा लड़ियों से सजाते हैं।

इस दिन बच्चे बहुत खुश होते हैं क्योंकि पटाखे तथा फुलझड़ियां जलाते हैं। नेपाल के लिए दिवाली त्योहार इसलिए महान है, क्योंकि नेपाल में इस दिन से एक नए वर्ष की शुरुआत होती है।

भारतीय परंपरा के अनुसार इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों व सगे संबंधियों को मिठाइयां व आकर्षक गिफ्ट देते हैं।

इस दिन दादी नानी अपने पोती पतियों तथा नाती नातीयों को बुराई पर अच्छाई की जीत कैसे होती है इससे संबंधित प्राचीन कहानियां सुनाती हैं।

दिवाली के दिन भारत में काफी बड़ी मात्रा में खरीदारी की जाती है। लोग कपड़े गहने गाड़ियां और अन्य महंगी वस्तुएं खरीदते हैं।

इसके अतिरिक्त माता पिता अपने बच्चों के लिए नए कपड़े खरीदते हैं। हिंदू ज्योतिषी के अनुसार इसी दिन धातु खरीदना काफी अच्छा माना जाता है ।

इसलिए इस दिन बर्तन खरीदे जाते हैं दिवाली के दिन हम अपने दरवाजे के सामने जमीन पर रंगोली बनाते हैं। इस दिन नौजवान आतिशबाजी का नजारा दिखाते हैं , तथा बच्चे फुल झाड़ियों से प्रकाश करते हैं।

इसी दिन पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है।

दिवाली का अर्थ

दिवाली त्योहार है खुशियों भरा त्योहार है। इस दिन लक्ष्मी तथा गणेश की पूजा होती है। दिवाली भारतीय त्योहारों में से एक है।

इस त्यौहार को सभी धर्मों के लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं सभी के जीवन में धन का महत्व है इसे कोई ना नहीं कर सकता। धन की आवश्यकता हर मनुष्य को है, और धन से ही वाह अपने जीवन की सभी इच्छाओं को पूरी करता है।

जैन धर्म की दृष्टि से इस दिन भगवान महावीर अपनी योग मुद्रा में क्लीन हुए थे। इसी दिन कार्तिक के समस्या के दिन 24 वे तीर्थंकर के रूप में इन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ था।

इसीलिए प्राचीन समय से इस पर्व को मनाया जा रहा है भगवान महावीर कहते थे की जीवन भाव से नहीं प्यार से चलता है वासना से नहीं साधना से चलता है, तो सब बाहरी हिंसा से नहीं संयम से चलता है।

दिवाली के पहले तथा दीपावली के बाद में मनाए जाने वाले त्योहार

दीपावली शुरू होते ही जैसे त्योहारों का एक जमावड़ा बन जाता है। दिवाली के पहले तथा दीपावली के बाद में मनाए जाने वाले त्योहार निम्नलिखित किस प्रकार हैं-

दिवाली के एक दिन पहले-

दिवाली के पहले का दिन धनतेरस त्यौहार के रूप में मनाया जाता है जिसमें आरोग्य के देवता ध्वन्तरी की पूजा की जाती है तथा इस दिन लोग अपने घरों में नए नए बर्तन तथा कीमती चीजों की खरीदारी करते हैं।

जैसे कि सोना चांदी गहने तथा कीमती इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि खरीदते हैं।

धनतेरस

कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की तिथि को भगवान धन्वंतरि ने समुद्र का मंथन किया था तथा वह अमृत तथा कलश लेकर साक्षात प्रकट हुए थे।

कहा जाता है कि उस कलश में ध्वन्तरी जी अमृत लेकर प्रकट हुए थे। ध्वन्तरी जी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदे जाते हैं।

इस दिन पूरे भारत में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाते हैं। ध्वन्तरी जी चिकित्सा के देवता कहे जाते हैं। इसीलिए हम से स्वास्थ्य के लिए हम लोग मनोकामना करते हैं तथा उनके लिए दीप जलाते हैं।

धनतेरस की रात को हर घर में अपने अपने आंगन में दीप जलाकर रखने की प्रथा आज भी बरकरार है।

धनतेरस की रात को भगवान ध्वन्तरी की पूजा करें तथा उनसे अपने स्वास्थ्य व अपने परिवार के स्वास्थ्य अच्छा रहने के लिए मनोकामना करें।

कम से कम इस दिन एक चांदी का सिक्का अवश्य खरीदें यह पंडितों द्वारा शुभ माना जाता है, लेकिन इसका कोई लिखित उल्लेख नहीं है ।

छोटी दीवाली-

छोटी दिवाली को हम एक अन्य नाम से जानते हैं जिसे चौदस कहा जाता है। इस दिन महिलाओं द्वारा गणेश तथा लक्ष्मी की पूजा की जाती है तथा महिलाएं सजती व सवारतीं हैं।

बड़ी दिवाली-

इस दिन को बड़ी दिवाली कहते हैं, इसी दिन को वास्तव में लोग दिवाली का दिन मानते हैं, क्योंकि इसी रात देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ एकत्रित होते हैं, तथा घर में मिठाई का वितरण किया जाता है, इस दिन युवाओं द्वारा पटाखे जलाए जाते हैं, तो सब बच्चे फुलझड़ियां चलाते हैं।

गोवर्धन पूजा-

यह हिंदुओं का पवित्र त्यौहार माना जाता है यह त्यौहार बड़ी दिवाली के बाद मनाया जाता है इस त्यौहार को भारत के सबसे उत्तरी हिस्से में उसको ज्यादातर मनाया जाता है।

बुजुर्गों द्वारा या बताया जाता है की गाय उसी तरीके से पवित्र है जिस प्रकार हमारे गंगा नदी पवित्र है। पंडितों की माने तो इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा की थी तथा इंद्र का घमंड तोड़ा।

ऐसे साधु-संतों द्वारा यह बताया था, कि 1 दिन श्री कृष्णा गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की थी।

भैया दूज

भैया दूज त्योहार गोवर्धन पूजा के बात बनाया जाता है। भाई दूज भाई और बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्यौहार में बहनें अपने भाइयों के लिए व्रत रखती हैं, तथा भाई और बहन के रिश्ते को और मजबूती मिलती है।

जिस प्रकार करवा चौथ में पत्नियों द्वारा अपने पति के लिए लंबी आयु की कामना करतीं हैं। उसी प्रकार भाई दूज में भी बहने अपने भाइयों के लिए लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।

बहनें अपने भाइयों को इस दिन माथे पर तिलक लगाकर लंबी उम्र की कामना करती हैं, तथा भाई अपनी बहनों को खूबसूरत गिफ्ट देकर रिश्ते को और मजबूत करते हैं।

इस दिन मैंने अपने भाइयों को भोजन पर आमंत्रित करते हैं, तथा भोजन में खीर पूरी और किया चुरा खुटिया तथा पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं।

यह त्यौहार बिल्कुल रक्षाबंधन की तरीके से मनाया जाता है रक्षाबंधन में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी है तथा भाई दूज में बहन अपने भाई के माथे पर कुमकुम चंदन हल्दी का तिलक लगाती हैं।

इस त्यौहार को भारत में गोवा महाराष्ट्र मणिपुर कर्नाटक नेपाल इसे भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।

दीपावली का उपसंहार

दीपावली एक एकता का त्यौहार है जहां पर हर व्यक्ति अपना काम 1 दिन के लिए छोड़ कर इस त्यौहार को अपने परिवार के साथ मनाता है। दिवाली प्रकाश का त्यौहार है।

धरती पर आया हर एक प्राणी का वही सपना होता है कि व अंधकार को छोड़कर रोशनी में जाए। इस दिन सभी बुराइयों को हराकर अच्छाई को अपनाया जाता है।

दिवाली में होने वाला प्रदूषण

वैज्ञानिकों के अनुसार बताया जाता है कि दिवाली की रात के बाद दूसरे या तीसरे दिन पारा 2 गुना हो जाता है 3 गुना हो जाता है जैसा कि आप दिल्ली के वातावरण में देख सकते हैं।

क्योंकि दीपावली के दिन बड़ी मात्रा में लोग पटाखे छोड़ते हैं। इसीलिए प्रदूषण की मात्रा हमारे भारत देश में किसी किसी राज्य में 2 गुनी तथा तिगुनी हो जाती है जो किया पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन जाता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार यह बताया गया है कि दिवाली की संध्या के दिन दुनिया भर में आतिशबाजी के समारोह होते हैं इससे हमारी ओजोन लेयर में छेदों के कारक बढते हैं।

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