कोशिका विभाजन क्या होता है – cell division in hindi

कोशिका विभाजन cell division:

कोशिका केंद्रक koshika kendrak:

कोशिका विभाजन cell division:

कोशिका विभाजन cell division सर्वप्रथम 1855 ईसवी में विरचाऊ ने देखा इस घटना में पहले DNA का द्विगुणन और फिर केंद्रक तथा कोशिका द्रव्य का विभाजन होता है कोशिका विभाजन cell division प्रमुख रूप से तीन प्रकार का होता है-  

  1. असूत्री विभाजन Amitosis
  2. सूत्री विभाजन Mitosis
  3. अर्धसूत्री विभाजन Meiosis

1.असूत्री विभाजन amitosis cell division in hindi:

यह विकसित कोशिकाओं जैसी जीवाणु नील हरित शैवाल यीस्ट अमीबा तथा प्रोटोजोआ में होती है।

2.सूत्री विभाजन/ समसूत्री विभाजन Mitosis:

यह कोशिका विभाजन cell division कायिक कोशिकाओं में होता है इस प्रकार के विभाजन से मात्रकोशिका विभाजित होकर दो समान नई संतति कोशिकाएं बनाती है सूत्री विभाजन के फल स्वरुप जीवो में वृद्धि होती है शरीर एवं उसमें स्थित अन्य कोशिकाओं की मरम्मत होती है तथा जख्म भरता है किंतु कैंसर कोशिकाओं में सूत्री विभाजन की क्रिया नियंत्रित एवं असीमित हो जाती है। समसूत्री विभाजन को पांच भागों में बांटते हैं-  

  1. अन्तरावस्था 
  2. पूर्ववस्था 
  3. मध्यवस्था 
  4. पश्चवस्था
  5. अंत्यावस्था

2.अर्धसूत्री विभाजन:

यह विभाजन लिंगी जनन करने वाले जीवो में होता है इसमें गुणसूत्र द्विगुणित से विभाजित होकर अगुणित हैं इसीलिए इस विभाजन को न्यूनकारी विभाजन कहते हैं यह पराग कणों बीजांड या बीजाणु धानी में होता है जंतु में यह कोशिका विभाजन cell division वृषण और अंडाशय में होता है। अर्धसूत्री कोशिका विभाजन cell division दो भागो में पूरा होता है।  

  1. अर्धसूत्री I
  2. अर्धसूत्री II

अर्धसूत्री-I: अर्धसूत्री-I विभाजन के 4 भाग होते हैं  

  1. प्रोफेज – I 
  2. मेटाफेज -I 
  3. एनाफेज -I 
  4. टेलोफेज-I

प्रोफेज – I :

यह सबसे लंबी प्रावस्था होती है जो कि 5 अवस्थाओं में पूरी होती है- 1.लेप्टोटीन 2.जाईगोटिन 3.पेकिटिन 4.डिप्लोटीन 5.डायकिनेसिस

1.लेप्टोटीन:

इसमें गुणसूत्र उलझे हुए तथा पतले धागों की तरह होते हैं इन्हें
क्रोमोनिमेटाक कहते हैं। इन में गुणसूत्र की संख्या द्विगुणित होती है।

2.जाईगोटिन:

समजात गुणसूत्र एक साथ जोड़े बनाते हैं इसे सिनेप्सिस कहते हैं सेंट्रियोल एक दूसरे से अलग होकर केंद्र के विपरीत ध्रुवों पर चले जाते हैं प्रोटीन एवं आरएनए संश्लेषण के फल स्वरुप केंद्रिका बड़ी हो जाती है।

3.पेकिटिन:

प्रत्येक जोड़े के गुणसूत्र छोटे और मोटे हो जाते हैं द्वीज का प्रत्येक सदस्य अनुदैर्ध्य रूप से विभाजित होकर दो अनुजात गुणसूत्रों या क्रोमेटीड में बट जाता है इस प्रकार दो समाजात गुणसूत्रों के एक द्वीज से अब चार क्रोमेटीड बन जाते हैं इनमें दो मात्र तथा  दो क्रमेटिड होते हैं कभी-कभी मात्र और पित्र क्रोमेटीड एरिया ज्यादा स्थान पर एक दूसरे से क्रॉस करते हैं।

4.डिप्लोटीन:

समजात गुणसूत्र अलग होने लगते हैं परंतु जोड़े के दो सदस्य पूर्ण रूप से अलग नहीं हो पाती क्योंकि वे कहीं-कहीं एक दूसरे से एक्स के रूप में उलझे रहते हैं ऐसे स्थानों को काइऐजमाटा माता कहते हैं काइऐजमाटा  औसत संख्या को बारंबारता कहते हैं काइऐजमाटा का अंत्यीकरण हो जाता है।

5.डायकिनेसिस:

केंद्रक कलावा केंद्रिक लुप्त हो जाती है।    अर्धसूत्री II: समसूत्री विभाजन के समान होता है अर्धसूत्री विभाजन में एक जनक कोशिका से चार संतति कोशिका का निर्माण होता है।

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