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भारतीय संविधान का इतिहास
Bhartiya samvidhan देश की शासन व्यवस्था को चलाने के लिए आवश्यक नियम कानूनों का संग्रह है
“Constitution is a collection of rules and laws to govern the country.”
Bharat ka smvidhan in hindi
ज्यादातर लोगों से हम अगर यह प्रश्न पूछते हैं तो लोग कहते हैं डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने यह संविधान बनाया वैसे इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि
Bhartiya samvidhan का निर्माण डॉक्टर बी आर अंबेडकर जी ने किया था लेकिन उनके साथ और भी अन्य सदस्य थे जिन्होंने डॉक्टर बी आर अंबेडकर जी के साथ मिलकर संविधान का निर्माण किया
उसे हम संविधान सभा कहते हैं संविधान सभा को पढ़ने से पहले हम संविधान से संबंधित कुछ तथ्य के बारे में पड़ेंगे
why do we need a constitution
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ 1947 से पहले हम गुलाम थे ब्रिटिश सरकार के कानून के हिसाब से हमें अपनी जिंदगी व्यतीत करनी होती थी
अगर हमसे कोई गलती होती थी तो अंग्रेजी कानून के हिसाब से हमें सजा दी जाती थी

प्रथम विश्व युद्ध में कांग्रेस और भारतीय नेताओं ने ब्रिटेन का सहयोग किया हमने ब्रिटेन सरकार को हर तरह से सहयोग किया हमारे भारतीय सैनिक ब्रिटेन की तरफ से लड़े।
द्वितीय विश्व युद्ध में हमने अंग्रेजों का साथ नहीं दिया क्योंकि हम स्वतंत्रता चाहते थे और यह मौका हमारे लिए सही था।
द्वितीय विश्व युद्ध में हम अंग्रेजों का साथ दें इसके लिए अंग्रेज सरकार ने वायसराय lord Lin Lithgo को भेजा जो ब्रिटिश सरकार की तरफ से भारत का वायसराय था
Lord Lin Lithgo ने द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का सहयोग पाने के लिए एक प्रस्ताव रखा जिसे अगस्त प्रस्ताव कहते हैं इस अगस्त प्रस्ताव को भारत के नेताओं ने ठुकरा दिया
इस प्रस्ताव को ठुकराने का कारण यह था कि ब्रिटिश सरकार ने कहा हम भारत के लिए संविधान सभा बनाएंगे लेकिन इसमें भारतीय सदस्य के साथ साथ कुछ अन्य सदस्य भी शामिल होंगे
जो भारतीय नहीं विदेशी होंगे।
Cripps mission 1942
इस मिशन के अनुसार जो अगस्त प्रस्ताव भारत ने ठुकरा दिया था और भारत में ब्रिटिश सरकार का साथ देने से मना कर दिया था बाद में ब्रिटिश सरकार ने भारत सरकार की बात मान ली
लेकिन भारत ने फिर इस मिशन को भी ठुकरा दिया क्योंकि अंग्रेज संविधान सभा के लिए तो मान गए थे लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संविधान सभा बनाई जाए।
क्रिप्स मिशन को ठुकराने के बाद गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया यह आंदोलन भारत का सफल आंदोलन था इस आंदोलन के चलते ब्रिटिश सरकार को यह मालूम हो गया
कि हथियार के बलबूते पर भारत में शासन अब नहीं किया जा सकता है
1946 में ब्रिटेन में चुनाव हुए नई पार्टी लेबर पार्टी बनी इसके प्रधानमंत्री क्लिमेंट एटली बने उन्होंने कहा कि जून 1948 में भारत को आजाद कर दिया जाएगा।
इस समय भारत के वायसराय विलियम बेंटिक थे भारत को आजाद करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का वायसराय बनाया गया।
इन्होंने सत्ता के हस्तांतरण के लिए एक आयोग बनाया जिसे कैबिनेट मिशन कहते हैं यह 19 फरवरी 1946 को बनाया गया कैबिनेट भारत आया 24 मार्च 1946 को और इस ने 16 मई 1946 को अपनी रिपोर्ट दी
कैबिनेट मिशन के सदस्य
- Panthic Lawrence (chairman)
- Ab Alexander
- Stephard cripps
ये तीनों सदस्य कैबिनेट मिशन की कैबिनेट मिनिस्टर थे
कैबिनेट मिशन ने कहा कि भारत के लिए एक संविधान बनना चाहिए Bhartiya samvidhan के निर्माण के लिए संविधान सभा को बनाया गया
संविधान सभा के सीटों के चुनाव प्रणाली आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (proportional representation method) था
इस प्रणाली के तहत 389 सदस्य चुने गए जिसमें 296 सदस्य चुनकर आए तथा 93 सदस्य देशी रियासतों से आए थे 296 सदस्य में प्रांतों से चुनकर आए थे
4 सदस्य चीफ कमिश्ननरी से आए थे यह चार चीफ कमिश्नरनरी
- दिल्ली
- अजमेर
- मारवाड़
- कुर्ग
बलूचिस्तान संविधान सभा में कुल 15 महिला सदस्य थी एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य बेगम अयाज रसूल संविधान सभा में मुस्लिम लीग के सदस्य 73 संयुक्त प्रांत से सबसे अधिक सदस्य 55 रियासत में मैसूर रियासत से सबसे अधिक 7 सदस्य आए थे किस देशी रियासत से कोई सदस्य नहीं आया था हैदराबाद भारत इस विधेयक के माध्यम से भारत का आजाद किया गया भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 |
भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को ब्रिटिश पार्लियामेंट ने पास किया था
बिल का प्रस्ताव – दिवस 4 जुलाई 1947
संसद ब्रिटेन पारित – 18 जुलाई 1947
इस बिल को पास करने के बाद भारत सचिव का पद समाप्त कर दिया गया वायसराय का पद समाप्त कर दिया गया इस बिल के पारित होने पर देसी रियासतों को अधिकार दिए
- भारत में शामिल होने का
- पाकिस्तान में शामिल होने का
- स्वतंत्र रहो
Bhartiya samvidhan sabha
Bhartiya samvidhan सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी इस संविधान सभा की मुस्लिम लीग ने विरोध किया था।
इस बैठक में 9 महिला सदस्य थी इस संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा थे।
11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की द्वितीय बैठक हुई इस संविधान सभा के पहले स्थाई अध्यक्ष चुने गए डॉ राजेंद्र प्रसाद।
संविधान सभा के तीसरी बैठक 13 दिसंबर 1946 को हुई इस सभा के अंतर्गत नेहरू जी ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया था यह उद्देश्य 22 जनवरी 1947 को पारित हुआ।
संविधान सभा के उपाध्यक्ष एच सी मुखर्जी थे संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बी एन राव थे
(बर्मा) म्यांमार का संविधान बनाने में बी एन राव ने सहयोग दिया था बी एन राव international court of justice के भारत की तरफ से प्रथम जज थे
संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित किया गया Bhartiya samvidhan सभा के कुल अधिवेशन 12 है तथा संविधान बनाने के लिए 11 अधिवेशन लगे 12वीं अधिवेशन की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई।
24 जनवरी 1950 को ही भारत के पहले राष्ट्रपति चुने गए संविधान सभा 24 जनवरी 1950 के बाद पूर्णता अंतरिम संसद बन गई।
संविधान सभा की दो रोल थे एक कार्य था Bhartiya samvidhan का निर्माण करना जब संविधान सभा निर्माण का कार्य करती थी तब उसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे दूसरा कार्य अंतरिम संसद के रूप में कार्य करती थी तथा उसके अध्यक्ष जीवी मावलंकर होते थे।
संविधान 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा कुल खर्च 2 करोड़ 38 लाख 96 हजार रुपए का आया।
संविधान सभा को हिंदुओं की संस्था किसने कहा – साइमन जाति विशेष की संस्था किसने कहा – विंस्टन चर्चिल किसने कहा कि संविधान सभा का मतलब कांग्रेश है – ग्रेनविले ऑस्टिन |
26 नवंबर 1949 को आज राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में जानते हैं इस दिन संविधान के 15 अनुच्छेद लागू हुए वह अनुच्छेद इस प्रकार हैं 5, 6, 7, 8, 9 यह नागरिकता से संबंधित अनुच्छेद थे अनुच्छेद 60, 324, 368, 366, 372, 380, 388, 391, 342, 393.
संविधान वाचन
Bhartiya samvidhan को बोलकर सुनना ही संविधान वाचन कहलाता है
- प्रथम वाचन 4 नवंबर 1948 से 9 नवंबर 1948
- दितीय वाचन 15 नवंबर 1948 से 17 अक्टूबर 1949
- तृतीय वाचन 14 नवंबर 1949 से 26 नवंबर 1949
मूल संविधान में अनुच्छेद 395 अनुसूचियां 8 भाग 22 हैं
वर्तमान में 395 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां 22 भाग हैं
संविधान सभा की समितियां
समिति | अध्यक्ष |
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नियम व प्रक्रिया समिति | डॉ राजेंद्र प्रसाद |
स्टाफ व वित्त समिति | डॉ राजेंद्र प्रसाद |
संघीय विधान समिति | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
प्रांतीय विधानसभा | सरदार बल्लभ भाई पटेल |
मूल अधिकार उप समिति | जे बी कृपलानी |
अल्पसंख्यक उप समिति | एचसी मुखर्जी |
संघ शक्ति समिति | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
प्रारूप समिति | डॉ बी आर अंबेडकर |
तदर्थ राष्ट्रीय झंडा समिति | डॉ राजेंद्र प्रसाद |
संविधान के स्त्रोत
ब्रिटेन | एकल नागरिकता, विधि का शासन, संसदीय विशेषाधिकार, आईएएस कैग का पद, संसदीय शासन प्रणाली |
USA | मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति का पद, महाभियोग की प्रक्रिया, स्वतंत्र न्यायपालिका, न्यायिक पुनरावलोकन |
आयरलैंड | राज्य के नीति निदेशक तत्व, राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया, राज्यसभा में मनोनीत सदस्य |
जापान | विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया का सिद्धांत |
रूस | मौलिक कर्तव्य |
फ्रांस | गणतंत्र व स्वतंत्रता का सिद्धांत |
साउथ अफ्रीका | संविधान संशोधन की प्रक्रिया |
ऑस्ट्रेलिया | प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची केंद्र व राज्यों में शक्तियों का विभाजन, संसद के सदनों की संयुक्त बैठक |
कनाडा | राज्यपाल का पद, सुप्रीम कोर्ट की सलाहकार की भूमिका, एकल संविधान संघीय शासन व्यवस्था |
Bhartiya samvidhan की अनुसूचियाँ
- भारत और उसके राज्य
- संवैधानिक पद
- उपरोक्त पदों के शपथ का प्रारूप
- राज्यसभा में सीटों का आवंटन
- अनुसूचित जनजाति है क्षेत्रों का प्रशासन
- असम मेघालय मिजोरम त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन
- केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण
- मान्यता प्राप्त भाषाएं
- न्यायिक पुनरावलोकन से निषेध बिषय
- यह 52 वें संविधान संशोधन 1985 द्वारा जोड़ी गई दल बदल कानून से संबंधित है
- 73वें संविधान संशोधन 1982 द्वारा जोड़ा गया इसमें पंचायती राज से संबंधित 29 विषय हैं
- 74 वें संविधान संशोधन 1993 द्वारा जोड़ा गया इसमें नगरपालिका से संबंधित विषय कुल 18 विषय प्रदान की है